विश्व नींद दिवस(World Sleep Day) क्या है?


विश्व नींद दिवस
एक सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनियाभर में 10 करोड़ लोग Sleep Apnea यानी अच्छी नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक लोग तो इस बीमारी से ही अनजान हैं और 30 प्रतिशत लोग नींद लेते भी हैं, तो उसे नियमित नहीं बना पाते हैं। 

विश्व नींद दिवस कब मनाया जाता है?
 
विश्व नींद दिवस प्रतिवर्ष मार्च विषुव से पहले शुक्रवार को मनाया जाता है। पहला विश्व नींद दिवस 14 मार्च 2008 को आयोजित किया गया था। नींद के महत्त्व को रेखांकित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।


YearDateSlogan
200814 March'Sleep well, live fully awake
200920 March'Drive alert, arrive safe
201019 March'Sleep Well, Stay Healthy
201118 March'Sleep Well, Grow Healthy
201216 March'Breathe Easily, Sleep Well
201315 March'Good Sleep, Healthy Aging
201414 March'Restful Sleep, Easy Breathing, Healthy Body'
201513 March'When sleep is sound, health and happiness abound'
201618 March'Good Sleep is a Reachable Dream'
201717 March'Sleep Soundly, Nurture Life'
201816 March'Join the Sleep World, Preserve Your Rhythms to Enjoy Life'
201915 March'Healthy Sleep, Healthy Aging'
202013 March'Better Sleep, Better Life, Better Planet'

र021 जाएगा?
वर्ष 2021 में विश्व नींद दिवस 12 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा

इस दिवस को मनाने की जरूरत क्यों पड़ी? 
बेहतर स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद जरूरी है, लेकिन एक सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनियाभर में 10 करोड़ लोग 'Sleep Apnea' यानी अच्छी नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक लोग तो इस बीमारी से ही अनभिज्ञ हैं और 30 प्रतिशत लोग नींद लेते भी हैं, तो उसे नियमित बनाए नहीं रख पाते।

भारत में Sleep Apnea की समस्या

 एक शोध में यह बात सामने आई है कि भारत में 20.3 प्रतिशत रोगी डाक्टरों से नींद की गोलियां लिखने को कहते हैं। इस बात से ये अनुमान लगाया जा सकता है कि लोगों में कितनी नींद की कमी है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद जरूरी है, 


विश्व स्तर पर Sleep Apnea की समस्या

 एक सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनियाभर में 10 करोड़ लोग स्लीप एप्निआ यानी अच्छी नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक लोग तो इस बीमारी से हीप्रभाव अनजान हैं और 30 प्रतिशत लोग नींद लेते भी हैं, तो उसे नियमित नहीं बना पाते हैं। स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी कंपनी फिलिप्स इंडिया लिमिटेड ने सर्वेक्षण के तहत जब 13 देशों अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड, फ्रांस, भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, कोलंबिया, अर्जेंटीना, मेक्सिको, ब्राजील और जापान में 15,000 से अधिक वयस्कों से नींद के बारे में पूछा, तो कुछ रोचक तथ्य सामने आए।

खराब नींद के प्रभाव 
 खराब नींद के लिए दुनियाभर में 46 प्रतिशत वयस्क थकान व चिड़चिड़े व्यवहार को जिम्मेदार मानते हैं और 41 प्रतिशत इसके लिए प्रेरणा की कमी तो 39 प्रतिशत एकाग्रता की कमी को इसका प्रमुख कारण मानते हैं। फिलिप्स में निद्रा और श्वसन देखभाल विभाग के प्रमुख डा. हरीश आर के अनुसार स्लीप डिसऑर्डर लोगों की समझ से अधिक गंभीर समस्या है, इसका सीधा संबंध अन्य गंभीर बीमारियों जैसे हृदय से संबंधी रोग, मधुमेह और हृदयाघात आदि से है। लोगों को इस बारे में जागरूक करना कि यह एक गंभीर स्लीप डिसऑर्डर है, अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। नींद जीवन का एक अनिवार्य और सक्रिय चरण है। हालांकि लोग ऐसे मुद्दों के प्रति अधिक शिक्षित और जागरूक बन रहे हैं, जिनके कारण स्लीप डिसऑर्डर पैदा हो सकते हैं, फिर भी यहां बहुत बड़ी जनसंख्या अभी भी लापरवाह है। ज्यादातर नींद की समस्या पूरी तरह से इलाज योग्य है और कई मामलों में इलाज वाले व्यक्ति की जीवन गुणवत्ता में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन भी देखा गया है।

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